1. क्या-क्या हुआ?
1.1 छह वर्षों के बाद कूटनीतिक बहाली
गालवान के बाद दोनों देशों के बीच कनेक्शन ठंडा था, लेकिन अब स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि भारत प्रतिस्पर्धी के रूप में नहीं, बल्कि स्पष्ट उद्देश्य और स्वाभिमान के साथ फिर से जुड़ना चाहता है ।
1.2 “भेद मत बनने दो विवाद”
संपर्क के दौरान दोनों पक्षों ने दोहराया कि लद्दाख (LAC) पर तनाव है, लेकिन इसे संभालने योग्य कहा गया। प्रमुख वाक्यांश था:
"भेदों को विवाद बनने न दें" theKhabri360।
जयशंकर ने विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत फिर से शुरू करने का प्रस्ताव रखा ताकि केवल अस्थायी समाधान की बजाय स्थायी समाधान की दिशा में काम हो ।
1.3 कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू
इस बैठक का एक भावनात्मक पहलू था कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली—जो महामारी और गालवान बाद रुकी थी—अब फिर चल रही है ।
इसके अलावा, उन्होंने निर्यात प्रतिबंधों, सीधी उड़ानों, और व्यापार-यात्रा सुविधाओं में सुधार की भी मांग की ।
1.4 SCO में चीन के साथ समर्थन
भारत ने स्पष्ट किया कि चाहे असहमति हो, पर वह चीन की SCO में भूमिका का समर्थन करता है theKhabri360। यह परिपक्वता का संकेत है — प्रतिस्पर्धा हो सकती है, लेकिन ध्वस्त नहीं करना है।
2. गालवान से बीजिंग तक — एक लंबा सफर
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जून 2020: गालवान घाटी झड़प में 20 भारतीय और लगभग 4 चीनी सैनिकों की मृत्यु हुई थी theKhabri360।
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बाद में भारत ने उठाए कदम: चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध, निवेश की समीक्षा, रक्षा संपर्क रोके, उड़ानें और तीर्थ यात्राएँ स्थगित ।
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2021‑23: बातचीत धीमी और谨慎 रही, लेकिन वास्तविक कूटनीति की शुरुआत अक्टूबर 2023 में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी‑शी की मुलाकात के साथ हुई ।
3. फरवरी 2024 से अब तक की ‘बर्फ पिघलने की प्रक्रिया’
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अक्टूबर 2024: LAC के 75% असहमति मुद्दों पर समझौता हुआ theKhabri360।
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जनवरी 2025: वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली ।
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अप्रैल 2025: मानसरोवर यात्रा फिर चालू ।
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जून 2025: रक्षा और NSA स्तर की SCO बैठक में भारतीय अधिकारियों की चीन यात्रा theKhabri360।
4. दीर्घकालीन रणनीतिक प्रभाव
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विश्वास निर्माण: सीमित तनाव, स्थिरता की नींव theKhabri360।
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वाणिज्यिक संबंध: MSMEs को सस्ते घटकों तक पहुँच, FDI में वृद्धि, औद्योगिक परियोजनाओं की संभावनाएं ।
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यात्रा और पर्यटन: धार्मिक पर्यटन से स्थानीय व्यवसायों को बल ।
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बहुपक्षीय गतिशीलता: वैश्विक चुनौतियों (महामारी, जलवायु, समुद्री सुरक्षा) पर सहयोग की राह ।
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प्रतिस्पर्धा में संयमित व्यवहार: चीन की BRI और भारत की Quad रणनीति में संतुलन theKhabri360।
5. लेकिन जश्न मनाने की जल्दी नहीं – चुनौतियाँ बरकरार
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दोनों देशों में जन-नंबर भरोसा सीमित है।
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भूटान/अरुणाचल के नज़दीक चीन का सैनिक निर्माण जारी है।
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भारत में चुनावी माहौल विदेश नीति को प्रभावित कर सकता है।
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अक्सर समझौते कागज पर रहते हैं—कार्यान्वयन में देरी रहती है ।
6. संक्षिप्त सारांश
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ऐतिहासिक मुलाकात: जयशंकर–शी की पहली बड़ी वार्ता गालवान के बाद।
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व्यापार एवं यात्रा लौट रही है: मानसरोवर यात्रा, फ्लाइट्स, और व्यापार वार्ता फिर से शुरू।
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सीमा शांत होना जरूरी है।
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आगे का सफर लंबा है—लेकिन यह कल एक शुरुआत है।
7. अंतिम शब्द: एक ‘देखिए कौन आगे क्या करता है’ वाला मोड़
भारत और चीन मित्र बने नहीं रहेंगे, लेकिन अब “बातचीत से समाधान” की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। अगर यह नई बातचीत सफल होती है, तो 2025 को “भारत–चीन संबंधों में सुधार का वर्ष” कहा जा सकता है ।

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